जवाहर लाल नेहरू की जीवनी : नेहरू के बारे में 23 रोचक तथ्य

पंडित जवाहर लाल नेहरू स्वतंत्र भारत के प्रथम प्रधानमंत्री थे । इनका जन्म 14 नवंबर 1889 को ब्रिटिश भारत में इलाहाबाद में हुआ था और 27 मई 1964 को इनका देहांत हुआ था । भारत के इतिहास में प्रधानमंत्री पद पर सबसे ज्यादा दिन तक शासन करने वाले प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू ही हैं । ये 1947 से लेकर 1964 तक (लगभग 17 साल ) प्रधानमंत्री पद पर आसीन रहे ।भारत की आजादी में भी पंडित जवाहर लाल नेहरू बहुत ही महत्वपूर्ण नेता थे और आजादी के बाद भी देश की राजनीति के सबसे अहम नेता भी यही थे । पंडित जवाहर लाल नेहरू लगभग 25 – 30 वर्षों तक एक बहुत ही प्रभावशाली नेता के रूप में कार्य किए जिसके कारण इनको आधुनिक भारत का निर्माता भी कहा जाता है ।
पंडित जवाहर लाल नेहरू का जन्म एक बहुत ही अमीर घराने में हुआ था इनके पिता मोती लाल नेहरू एक बहुत ही अच्छे वकील थे जो एक कश्मीरी ब्राह्मण थे। मोती लाल नेहरू सारस्वत कौल ब्राह्मण समुदाय से थे जो एक नहर के किनारे रहा करते थे जिसकी वजह से उनको नेहरू उपनाम दे दिया गया । पंडित जवाहर लाल नेहरू के जन्म से पहले ही मोती लाल नेहरू प्रयागराज इलाहाबाद आ गए थे । चूंकि पंडित जवाहर लाल नेहरू अमीर घराने से थे तो उनकी जो प्रारम्भिक शिक्षा थी वह घर पर ही हुई । उनको शिक्षा देने के लिए प्राइवेट अध्यापक घर ही पढ़ाने के लिए आते थे।
आज हम जानेंगे पंडित जवाहर लाल नेहरू के जीवन से संबन्धित 23 महत्वपूर्ण बातें –
- प्रारम्भिक शिक्षा प्राप्त करने के बाद स्कूलिंग शिक्षा प्राप्त करने के लिए जवाहर लाल नेहरू को इंग्लैंड के Harrow School भेज दिया गया । स्कूलिंग पूरी करने के बाद 1910 में उन्होने Trinity College Cambridge से Natural Science में स्नातक ( Graduation ) किया। स्नातक करने के बाद उन्होने Inner Temple College London से वकालत की पढ़ाई की और 1912 में वकील बन गए ।
- London से वकालत पूरी करने के बाद वापस भारत लौट आए और इलाहाबाद हाइकोर्ट में उन्होने अपनी प्रैक्टिस शुरू करी लेकिन अपने पिता जी की तरह उनकी प्रैक्टिस उतनी सफल नहीं हुई । और उन्होने वकालत छोडकर राजनीति में भाग लेना शुरू कर दिया।
- 1916 में पंडित जवाहर लाल नेहरू की कमला नेहरू से शादी हो गयी और एक वर्ष बाद उनको एक बेटी हुई जिसका नाम उन्होने इन्दिरा प्रियदर्शिनी रखा ।
- 1917 में पंडित जवाहर लाल नेहरू होम रूल लीग में शामिल हो गए ।
- राजनीति में पंडित जवाहर लाल नेहरू की असली दीक्षा तब शुरू हुई जब वे 1919 में महात्मा गांधी जी के संपर्क में आए, उस समय महात्मा गांधी ने रोलेट अधिनियम के खिलाफ एक आंदोलन शुरू किया था। जवाहर लाल नेहरू गांधी जी के इस आंदोलन के प्रति बहुत ही आकर्षित हुए थे जिसके बाद उन्होने अपने आप को और अपने परिवार को गांधी जी के आदर्शों पर ढाल लिया ।
- जवाहर लाल नेहरू और उनके पिता मोती लाल नेहरू दोनों लोगों ने पश्चिमी सभ्यता के सभी संस्कृति को त्याग दिया , महंगे कपड़ों को त्याग दिया अपनी पूरी संपत्ति का त्याग कर दिया और केवल स्वदेशी बस्तुओं का उपयोग करना शुरू कर दिया । अब वे दोनों लोग एक खादी कुर्ता और गांधी टोपी पहनने लगे।
- जवाहर लाल नेहरू ने 1920 – 1922 के असहयोग आंदोलन में सक्रिय भागीदारी लिया और इस दौरान पहली बार उनको जेल जाना पड़ा । लेकिन कुछ महीनो तक जेल में रखने के पश्चात उनको रिहा कर दिया गया.
- वर्ष 1924 मे पंडित जवाहर लाल नेहरू इलाहाबाद नगर निगम के अध्यक्ष चुने गए और उन्होने शहर के मुख्य कार्यकारी अधिकारी के रूप 2 वर्ष तक सेवा किया उसके बाद 1926 में उन्होने ब्रिटिश अधिकारियों के सहयोग की कमी का हवाला देते हुए इस्तीफा दे दिया ।
- 1926 से 1928 तक पंडित जवाहर लाल नेहरू अखिल भारतीय कॉंग्रेस के महासचिव रहे ।
- दिसंबर 1929 में कॉंग्रेस का वार्षिक अधिवेशन लाहौर में आयोजित किया गया जिसमें जवाहर लाल नेहरू काँग्रेस के अध्यक्ष चुने गए । इसी सत्र के दौरान एक प्रस्ताव भी पारित किया गया जिसमें पूर्ण स्वराज्य की मांग की गयी ।
- 26 जनवरी 1930 को लाहौर में जवाहर लाल नेहरू ने स्वतंत्र भारत का झण्डा फहराया था और इसी साल गांधी जी ने भी सविनय अवज्ञा आंदोलन की शुरुआत किया । और ये आंदोलन कुछ हद तक सफल रहा जिसकी वजह से ब्रिटिश सरकार ने भी कुछ राजनीतिक सुधारों की आवश्यकता को मानना स्वीकार किया ।
- जब ब्रिटिश सरकार ने भारत अधिनियम 1935 को लागू किया तब काँग्रेस पार्टी ने भी चुनाव लड़ने का निर्णय लिया और इस चुनाव में जवाहर लाल नेहरू शामिल नहीं हुए उन्होने पार्टी के समर्थन मे पूरे देश में बाहर से ही राष्ट्रव्यापी अभियान चलाये जिसका परिणाम यह हुआ कि काँग्रेस ने लगभग देश के हर प्रान्तों में सरकारों का गठन किया और केन्द्रीय असेंबली में सबसे ज्यादा सीटों पर जीत दर्ज की ।
- 1936 और 1937 में भी जवाहर लाल नेहरू काँग्रेस के अध्यक्ष पद के लिए चुने गए । 1942 में अंग्रेजों भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान फिर से दुबारा जेल जाना पड़ा और 1945 में छोड़ दिया गया ।
- जवाहर लाल नेहरू कुल मिलकर 9 साल जेल में रहे थे ।
- 1947 में आजादी के बाद जब भावी प्रधानमंत्री के लिए काँग्रेस में चुनाव हुआ तो सबसे ज्यादा सरदार बल्लभ भाई पटेल को वोट मिले थे उसके बाद सबसे ज्यादा वोट आचार्य कृपलानी को वोट मिले थे लेकिन गांधी जी के कहने पर सरदार पटेल और आचार्य कृपलानी ने अपना नाम वापस ले लिया और जवाहर लाल नेहरू को प्रधानमंत्री बनाया गया ।
- 1947 में जब जवाहर लाल नेहरू प्रधानमंत्री बने तो उस समय करीब 500 देशी रजवाड़ों को भी अँग्रेजी शासन से आजाद किया गया था और उस समय सबसे बड़ी चुनौती इन रजवाड़ों को एक झंडे के नीचे लाना था लेकिन पंडित जवाहर लाल नेहरू ने भारत के पुनर्गठन में उन चुनौतियों का समझदारी पूर्वक सामना किया और सबको एक झंडे के नीचे लाये ।
- जवाहर लाल नेहरू ने आधुनिक भारत के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई , उन्होने ने योजना आयोग का गठन किया , विज्ञान और प्रौधोगिकी के विकास को भी प्रोत्साहित किया इसके अलावा लगातार 3 बार पंचवर्षीय योजना का भी शुभारंभ किया ।
- जवाहर लाल नेहरू की नीतियों के कारण देश में कृषि और उद्योग का एक नया युग शुरू हुआ । इसके अलावा नेहरू ने भारत के विदेश नीति के विकास मे भी एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई ।
- जवाहर लाल नेहरू ने जोसिप बरोज टिटो और अब्दुल गमाल नासिर के साथ मिलकर एशिया और अफ्रीका में उपनिवेशवाद के खात्मे के लिए एक गुट निरपेक्ष आंदोलन की रचना की ।
- जवाहर लाल नेहरू कोरियाई युद्ध का अंत करने , स्वेज़ नहर विवाद को सुलझाने और कांगो समझौते के साथ साथ अन्य अंतराष्ट्रीय समस्याओं के समाधान में एक अच्छे मध्यस्थ कि भूमिका में रहे । पश्चिम बर्लिन ,आस्ट्रिया और लाओस के जैसे कई अन्य विस्फोटक मुद्दों के समाधान में भी उन्होने पर्दे के पीछे रहकर बहुत ही महत्वपूर्ण योगदान दिया ।
- 1955 में जवाहर लाल नेहरू को भारत रत्न से सम्मानित किया गया ।
- जवाहर लाल नेहरू ने अपने जीवन में बहुत से महत्वपूर्ण कार्य किए और बहुत से मामलों को सुलझाइए लेकिन पाकिस्तान और चीन के साथ भारत के सम्बन्धों में सुधार नहीं कर पाये । पाकिस्तान के साथ एक समझौते तक पाहुचने में कश्मीर मुद्दा और चीन के साथ मित्रता में सीमा विवाद मील के पत्थर साबित हुए । नेहरू ने चीन कि तरफ मित्रता का हाथ भी बढ़ाया लेकिन 1962 में चीन ने धोखे से आक्रमण कर दिया और यह आक्रमण नेहरू के लिए सबसे बड़ा झटका साबिता हुआ । और शायद यही झटका उनकी मृत्यु का कारण भी बना ।
- एक कुशल राजनेता के साथ साथ जवाहर लाल नेहरू एक कुशल लेखक भी थे , उन्होने कई किताबें भी लिखी जिसमें भारत की खोज ( Discovery Of India ) सबसे प्रचलित पुस्तक थी जिस पर आधारित भारत एक खोज नाम से एक उत्तम धारावाहिक का निर्माण भी हुआ है । इसके अलावा नेहरू जी स्वभाव से स्वाध्यायी थे उन्होने स्वाध्याय से महान ग्रन्थों का अध्ययन भी किया था ।