जानिए कैसे हुई मदर्स डे की शुरुआत, हमारे जीवन में क्या है इसका महत्व

इस धरती पर अगर कोई सबसे प्यारा और अच्छा शब्द है तो वह है माँ, यूं कहें तो प्रेम का दूसरा नाम ही है माँ । एक माँ का प्रेम अपनी संतान के लिए इतना गहरा और अटूट होता है कि माँ अपने बच्चे कि खुशी के लिए सारी दुनिया से लड़ लेती है । एक माँ का आंचल अपनी संतान के लिए कभी छोटा नहीं पड़ता है । एक माँ का हमारे जीवन में क्या महत्व है ये बात उनसे पुछो जिनकी कोई माँ नहीं है । माँ के बिना ये पूरी दुनिया अधूरी है एक माँ के बिना एक पिता और बच्चे का कोई अस्तित्व नहीं है ।
पुराने समय में लोग प्रतिदिन अपनी माँ खयाल रखते थे , उनकी सेवा किया करते थे लेकिन आज ये परंपरा बिलुप्त होती जा रही है । यहाँ तक कि आज कल लोग अपनी माँ को जब वह बूढ़ी हो जाती है तो उसको किसी बृद्धा आश्रम में छोड़ आते हैं । वे लोग एक बार भी नहीं सोचते कि जिस माँ ने उसे अपने पेट में 9 महीने तक रखा , दुनिया के सारे दुख दर्द झेले उसकी परवरिश में पूरी दुनिया से लड़ी लेकिन उस लड़के ने उस माँ को छोडते हुए उस माँ के उसके प्रति त्याग का एक बार भी खयाल नहीं आया ।
आज के इस आधुनिकता भरे समय में अब माँ के लिए बहुत ही सीमित समय रह गया है उसको भी लोग अब त्योहार के जैसे मनाने लगे हैं । जो माँ हमें पाल-पोश कर बड़ा करने में अपनी पूरी जिंदगी बिता दी उस माँ के लिए अब एक साल में केवल एक दिन सिमट कर रह गया है । हमारे भारत की परंपरा बिकुल भी ऐसी नहीं थी लेकिन आज आधुनिकता के दौर में लोग प्राचीन परम्पराओं को छोड़ कर पश्चिमी सभयताओं के पीछे भागने में लगे हुए हैं ।
मदर्स डे की शुरुआत :-
आधुनिक मातृ दिवस का अवकाश ग्राफटन वेस्ट वर्जीनिया में एना जार्विस के द्वारा समस्त माताओं तथा मातृत्व के लिए खास तौर पर पारिवारिक एवं उनके आपसी सम्बन्धों को सम्मान देने के लिए किया गया था । 8 मई 1914 को राष्ट्रपति वुडरो विल्सन नें मई के दूसरे रविवार को एक संयुक्त प्रस्ताव पर हस्ताक्षर किया जिसे मदर्स डे के रूप मे मनाया गया । यह दिवस अब दुनिया के हर कोने में अलग अलग दिन को मनाया जाता है । जैसे पिताओं को सम्मान देने के लिए पित्र दिवस की छुट्टी होती है वैसे ही माताओं को सम्मान देने के लिए मातृ दिवस की छुट्टी होती है ।
बिभिन्न देशों में इस समारोह को मनाने का अपना-अपना तौर तरीका है कुछ देशों में अगर मातृ दिवस के अवसर पर अपनी माँ को सम्मानित नहीं किया गया तो यह अपराध माना जाता है । कुछ देशों में यह एक प्रसिद्ध छोटे से त्योहार के रूप में मनाया जाता है ।
भारत में मातृ दिवस की खास परंपरा है। भारत में पृथ्वी को भी माँ की संज्ञा दी जाती है, व भारत में माता की भगवान स्वरूप में भी पूजा की जाती है, इस लिए भारत में मातृ दिवस भी खास महत्व रखता है।
माँ की प्रशंसा में लिए लिखी गई कुछ पंक्तियाँ :-
1 “माँ आँखों से ओझल होती , आँखें ढूंढा करती रोती ।
वो आँखों में स्वप्न सँजोती , हर दम नींद में जगती सोती ।
वो मेरी आँखों की ज्योति , मैं उसकी आँखों का मोती ।
कितने आंचल रोज भिगोती , वो फिर भी ना धीरज खोती ॥‘’
—— अज्ञात
2 ऐ अंधेरे ! देख ले मुह तेरा काला हो गया ,
माँ ने आँखें खोल दी , घर में उजाला हो गया ।
—— मुनव्वर राणा
3 कुछ इस तरह मेरे गुनाहों को वो धो देती है ,
माँ बहुत गुस्से में होती है तो रो देती है ॥
——- मुनव्वर राणा
4 मेरी ख़्वाहिश है कि मैं फिर से फरिश्ता हो जाऊँ,
माँ से इस तरह लिपटूँ कि बच्चा हो जाऊँ ॥
——- मुनव्वर राणा
5 अभी जिंदा है माँ मेरी मुझे कुछ नहीं होगा ,
मैं जब भी घर से निकलता हूँ माँ कि दुआ भी साथ चलती है ॥
—— मुनव्वर राणा